हिंदू हा शब्द केव्हा स्थापण करण्यात आला #When was the word Hindu coined?

 

१९१८में पहली बार इस्तेमाल हुंवा है हिंदू धर्म शब्द तुलशिदास नेरामचरित मानस मुगलकाल में लिखी ,पर मुगलो की बुराई में एक भी चौपाई नहीं लिखी.

(क्यों )__

क्या उस समय हिंदू मुसलमान का मामला नहीं था? हां उस समय हिंदू मुसलमान का मामला नहीं था क्योकीं उस समय हिंदू नाम का कोई धर्म हि नहीं था.


तो फिर उस समय कौनसा धर्म था?_उस समय ब्राम्हण धर्म था .और ब्राम्हण मुगलो के साथ मिलजूलकर रहते थे,यॅहा तक को आपस में रिस्तेदार बनकर भारत में राज कर रहें थे उस समय वर्ण व्यवस्था की ,वर्ण व्यवस्थख में शुद्र अधिकार वंचित था!जिस का कार्य सिर्फ सेवा करना था,मतलब सिधे शब्दोमें गुलाम था!

तो फिर हिंदू नाम का धर्म कब सें आया?__ब्राम्हण धर्म का नया नाम हिंदू तब आया .जब वैस्क मताधिकार का मामला आया .जब इंग्लंड में वैस्कमताधिकार का काणून लागू हुंवा और इसको भारत मेंभी लागू करणे की बात हुई!


इसीपर तिलक ने बोला था" क्या यह तेली तम्बोली संसद में जाकर तेल बेचेंगे इसलिए स्वराज इनका नहीं मेरा जन्मसिध्द अधिकार है,हिंदू शब्द प्रयोग पहिली बार १९१८में पहली बार इस्तेमाल किया गया . तो ब्राम्हण धर्म खतरेमें क्यों पडा.क्योंकी भारत में उस समय अंग्रजोका राज था,वहा वैस्कमताधिकार लागू हुंवा तो भारत में तो होना ही था, ब्राम्हण ३:५/टक्के है,अल्पसंख्यक है.राज कैसे करेंगे?


ब्राम्हण धर्म के सारे ग्रंथ शुद्रो के विरोध में ,मतलब हक/अधिकार छीनने के लिए ,शुद्रो की मानशिकता बदलने के लिए षडयंत्र का रुप दिया गया.

आज का ओबीसी ही ब्राम्हण धर्म का शुद्र है.SC(अनुसुचित जाती) के लोंगो को तो अछूत घोषित करके वर्ण व्यवस्था सें बाहर रखा गया था.क्योंकी उन्होनेही युरेशियन आर्यो सें सबसे ज्यादा संघर्ष किया था.


ST(अनुसूचित जनजाती)के लोंग तो जंगलों में थें उनको तो युरेशियन आर्यो कि सिंधू घाटी सभ्यतासें संघर्ष के समय सें ही वनमें जाकर रहने में मजबूर किया.उनको वनवासी कह दिया._ब्राम्हणोंने षडयंत्र सें हिंदू शब्द का इस्तेमाल किया.जिससे सबको समानताका अहसास हो.पर ब्राम्हणोंने समाज की व्यवस्था ब्राम्हण धर्म कि ही रखी .उसमें जातीया रखी,जातीया ब्राम्हण धर्म का प्राणतत्व है,


इनके बिना ब्राम्हण का वर्चस्व खत्म हो जायेंगा इसलिए उस समय हिंदू _मुसलमान की समस्या नहीं थी.ब्राम्हण धर्म को जिंदा रखने के लिए वर्ण व्यवस्था थी!उसमें शुद्रो कों गुलाम रखना था.

इसलिए तुलिशीदास नें मुसलमानोंके विरोध में नहीं शुद्रो के विरोध में शुद्रो को गुलाम बनाए रखने के लिए रखा.

धोल गंवार शुद्र पशू नारी।

यें सब ताडन के अधिकार।।

अबजब मुगल चले गये ,देश में SC,ST,OBCके लोग ब्राम्हण धर्म के विरोध में ब्राम्हण धर्म के अन्याय अत्त्याचार सें दु:खी होकर इस्लाम अपना लिया.तो ब्राम्हण अगर मुसलमानोंके विरोध में जाकर सडयंत्र नहीं करेगा तो St,Sc, OBCके लोंगो को प्रतीक्रिया सें हिंदू बनाकर बहूत संख्य लोंगो का हिंदू के नाम पर धृवी करण करके अल्पसंख्यक ब्राम्हण बहूसंख्यक बनकर राज कैसा करेगा.


५२/टक्के OBC का भारत में शासन होना होना चाहिए था.क्योंकी OBC यहापर अधिक तादात में है!लेकिन यही वर्ग ब्राम्हणका सबसे बडा गुलाम ही हैं ,यही इस धर्म का सुरक्षाबल बना हुवां है,यदी गलती सें भी किसीने ब्राम्हणवाद के खिलाफ आवाज उठाई तों यही OBC ब्राम्हणवाद को बचाने आजाते है.और वह आवाज हमेशा के लिए खामोश कि जाती है.


यदी भारत में ब्राम्हण शासन व ब्राम्हण राज कायम है तो उसका जिम्मेदार केवल और केवल OBC है,क्योंकी बिन OBC सपोर्ट के ब्राम्हण यॅहा कुछ नहीं कर सकता।।

OBCको यह मालूम ही नहीं की उसका किस तरह ब्राम्हण USE कर रहा है।साथ ही साथ SC,ST, व अल्पसंख्यक लोंगो में मुल इतिहास के प्रतिअज्ञानता व उनके अन्दर समाया पाखंड अंधविश्वास भी कम जिम्मेदार नहीं है।।


इसलिए आज हिंदू मुसलमान कि समस्या देश में खडी कि गयी है‌।तथाकथित हिंदू (St,Sc, OBC)मुसलमान सें लड मरें.

क्या कभी आपने सुना है की किसी दंगे में कोई ब्राम्हण मरा हो?जाहर घोलनें वाले कभी जाहर नहीं पीते है.

इसलिए,युरेशियन ब्राम्हण सदैव सुरक्षित.कोई दर्द नहीं कोई फर्क नहीं आराम सें टीवी में डिबेट के लिए तैयार!

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आपला मुल निवासी ओबीसी हितचिंतक देवानंद भाऊ

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